मैं बात कर रही थी ध्यान में मेरे अनुभवों के बारे में और ये अनुभव इतने अदभुत हैं कि जितना इसकी बात करें कम ही लगता है |जब हम हर पल को जागरूकता के साथ जीना शुरू करते हैं तो हम वर्तमान में जीते हैं और वर्तमान में जीना ही असली में जीना है |हर पल को पूरा निचोड़ लेना और उसका रस लेना|अपने अतीत और भविष्य को छोड़ कर सिर्फ और सिर्फ वर्तमान में जीना|मैं ये मानती हूँ कि चुनौतियों से भरे इस जीवन में यह बहुत मुश्किल लगता है क्योंकि जिस तरह का जीवन हम आज के दौर में जी रहे हैं उसमें यदि हम थोड़ा सा धीमा होते हैं तो अहसास होता है कि समय से पीछे रह गए हैं और दुनिया बहुत आगे निकल चुकी है | लेकिन कभी ध्यान से सोचो कि क्या सबसे आगे निकल जाना ही मकसद है हमारे जीवन का??? क्या इसलिए ही है ये जीवन???? अगर हाँ तब तो हम भागते ही रह जायेंगे जीवन भर... इस दौड़ का तो कोई अंत ही नहीं |इस कारण से ही थोड़ा सा थम जाना जरूरी है ताकि ये जो जीवन जीने को मिला है इसको हम जीयें तो सही कुछ पल को|मेहनत तो हर चीज में है तो अगर थोड़ी मेहनत इसमें भी कर लेंगे तो जो खुशी हासिल होगी वो अनमोल होगी| हमें बस एक अभ्यास करना है कि जहाँ जिस पल में हो उसी को ध्यान से जीना है बिल्कुल ध्यान से| जब हम यह अभ्यास करते जायेंगे तो एक समय के बाद स्वयं वर्तमान में जीना आरम्भ कर देंगे और जब हम वर्तमान में होंगे तो जो विचारों का समन्दर भीतर चलता रहता है वो स्वतः ही थम जाएगा, उस पर विराम लग जायेगा फिर सोचो कितना आनन्द होगा हर क्षण में एक अदभुत आनन्द...तो क्यों न चलें इस सफर पर साथ -साथ मैं और आप| इतना आसान नहीं है मैं मानती हूँ लेकिन जितना हम समझ बैठे हैं उतना मुश्किल भी नहीं बस एक बार ठान लेने की देरी है| ये तो मानते हैं न कि जीवन बस बहते पानी के जैसे चला जा रहा है हर क्षण और हम बस बह रहे हैं बहती धारा के साथ बिना कुछ भी जाने समझे, इसलिए बस थोड़ा सा थम कर खुद को देखो और समझो| अपने भीतर टटोलो कि क्या जिस स्थिति में हो उस से बेहतर भी कुछ हो सकता है और अगर हाँ तो फिर शुरू करो ये सुन्दर सफर ध्यान का सफर आज से और अभी से......
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