कुछ समय पूर्व की ही बात है जब ये खबर आयी कि सिद्धार्थ शुक्ला मशहूर टीवी स्टार इस दुनियां में नहीं रहे और इतनी छोटी सी उम्र में मौत का कारण हृदयघात , ये बहुत ज्यादा दुःखी करने वाला था कि इतना अच्छा खुद का ध्यान रखने के बाद भी ये सब कैसे , इतने सवाल और असमंजस कि स्थिति , मैं कहीं भीतर इसको स्वीकार नहीं कर पा रही थी और विचारों का एक समंदर सा उमड़ पड़ा था , एक इंसान कितना मेहनत करता है अपने सपनों को पूरा करने के लिए दिन रात एक कर देता है और जब किसी बुलंदी पर पहुँच जाता है तो ये सब , आखिर क्यों , अपने अंदर ही कहीं जवाब खोजने कि कोशिश करती रही परन्तु इस बात का कोई जवाब आज तक मुझे नहीं मिला और आज फिर से मेरे आस पास ही एक नौजवान जो अभी जीवन की शुरुआत ही कर रहा था उसी तरह से हृदयघात का शिकार हो गया और अपने जीवन से हाथ धो बैठा | क्या वजह है की आज के वक़्त में जब हम पहले से कहीं ज्यादा अच्छा जीवन यापन करते हैं और अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ते हैं फिर भी ज्यादा बदतर हालत में पहुंच गया है आज का इंसान |बहुत सोचा फिर मुझे तो बस यही समझ आया की बेहतर जीवन यापन करने और अपने परिवार को भी बेहतर सुविधा युक्त जीवन देने का जो तनाव एक व्यक्ति हर वक़्त झेल रहा है शायद वही इसका कारण है और फिर महत्वाकांक्षाओं का बोझ ही इतना बड़ा है कि इंसान ये नहीं समझ पा रहा है कि इतना लम्बा तो जीवन है भी नहीं जितना वो हर पल उसकी बेहतरी के लिए मर रहा है ,सुकून कि एक सांस तक लेने का आज के इंसान के पास वक़्त नहीं है तो मुझे लग रहा है कि शरीर तो जवाब देगा ही क्यूंकि जिस जीवन कि बेहतरी इंसान चाहता है उसी की पल पल उपेक्षा कर रहा है | बहुत दर्द सा है मन में आज एक गहरी सी उदासी जिस के बाद अब बस यही कहना चाहती हूँ की बस थोड़ा सा ठहर जाएँ हम सब बस थोड़ा सा ............क्या सोचते हैं आप इस सब के बारे में कृपया अपनी राय जाहिर करें
आपके इस लेख में पेश किए गए विचार एक ऐसी विडंबना है जिसका जवाब मनुष्य हमेशा से खोजता आया है। लेकिन जवाब, अक्सर हल देने के बजाए इंसान के मन को और उलझा देता है। किया ये जा सकता है की सवालों से जूझने के बजाए जिंदगी से ही जूझा जाए। क्योंकि इन सवालों के जवाब को आकार देने को क्षमता मनुष्य मे है ही नही।
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